शिक्षा मनोविज्ञान, सामाजिक विज्ञानों की श्रृंखला में मनोविज्ञान के ज्ञान के क्षेत्र की व्यावहारिक शाखा है। इसका सम्बन्ध कक्षा-कक्ष अन्तःक्रिया के साथ-साथ सामाजिक दायभाग (Social Heritage) के हस्तान्तरण से भी है। ज्ञान के अथाह भण्डार को निरन्तर आगामी पीढ़ी में हस्तान्तरित करने में शिक्षक अहम् महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करता है।
शिक्षा के प्रति छात्रों की मनोवृत्ति किस प्रकार की है। इससे उसकी योग्यता, क्षमता तथा कुशलता का पता चलता है। ऐसे शिक्षकों की कमी नहीं है जिनको छात्र झेलते हैं। उनका शरीर ही कक्षा में उपस्थित रहता है। वे किसी अन्य चिन्तन धारा में व्यस्त रहते हैं।
ऐसे शिक्षक न तो छात्रों के मनोविज्ञान से परिचित होते हैं और न स्वयं मनोविज्ञान से। इसके विपरीत ऐसे शिक्षकों का भी अभाव नहीं है, जिनकी कक्षा में शत-प्रतिशत उपस्थिति रहती है। हर छात्र उनका आदर करता है। ऐसे शिक्षकों के व्यवहार का सीधा प्रभाव छात्रों पर पड़ता है।
शिक्षा मनोविज्ञान की परिभाषा
स्किनर के अनुसार, “शिक्षा मनोविज्ञान शिक्षा में उन अनुसन्धानों का प्रयोग है जो मानव तथा प्राणियों के अनुरूप तथा व्यवहार से सम्बन्धित है।”
प्रो. ट्रो के अनुसार, ” शैक्षणिक परिस्थितियों का मनोवैज्ञानिक अध्ययन करना ही शिक्षा मनोविज्ञान है।”
ऐसी विभिन्न परिस्थितियाँ आती हैं जिनमें कक्षा-शिक्षक की परीक्षा होती है। ऐसी परिस्थिायाँ इस प्रकार हैं-
(1) कक्षा की शिक्षक के प्रति मनोवृत्ति किस प्रकार की है-वांछित (Favourable), अवांछित (Unfavourable) एवं आक्रामक (Hostile) |
(2) शिक्षक कक्षा के व्यवहार परिवर्तन में कितना सक्षम है।
(3) कक्षा में छात्र विशेष के व्यवहार से सम्पूर्ण कक्षा की अन्तःक्रिया पर क्या प्रभाव पड़ता है ? इन सभी परिस्थितियों में मनोवृत्ति (Attitude) के निर्माण की अहम् भूमिका होती है। कुछ शिक्षक मनोवृत्तियों का निर्माण करते हैं तथा कुछ इससे बचते हैं। मनोवृत्ति का पता तीन परिस्थितियों से चलता है
(i) कार्य करने में पहल करना, (ii) कार्य के विपरीत होना तथा (iii) परिस्थिति से पलायन करना। पहली परिस्थिति कार्य मूलक, दूसरी कार्य विरोधी या आक्रामक और तीसरी पलायन की मनोवृत्ति है।
मनोवृत्ति अर्जित होती है। साहचर्य, अन्तरण, विस्थापन तथा अनुबन्ध द्वारा मनोवृत्तियों का निर्माण होता है। साहचर्य (Association) की प्रक्रिया द्वारा शिक्षक विभिन्न प्रकार की मनोवृत्तियों डोटना, फटकारना, सहानुभूति आदि के द्वारा निर्माण करता है। समान तत्त्वों के आधार पर ज्ञान तथा कौशल का अन्तःकरण करता है। प्रस्थिति (Status) तथा भूमिका (Role) के द्वारा विस्थापन करता है और अनुबन्ध के द्वारा ज्ञान का अपहरण करता है।
शिक्षक अच्छे व्यवहार द्वारा बालकों में इस प्रकार की मनोवृत्ति उत्पन्न करता है।
वह छात्रों को चाहता है और छात्र उसे चाहते हैं।
वह छात्रों की सहायता करता है।
छात्र शिक्षक से सीखना चाहते हैं।
शिक्षक छात्रों का मार्ग दर्शन होता है।
शिक्षक का व्यक्तित्व
अनेक मनोवैज्ञानिक कारक शिक्षक के व्यक्तित्व पर प्रभाव डालते हैं। व्यक्तित्व पर सामाजिक उद्दीपन के मूल्य का भी पर्याप्त प्रभाव पड़ता है। शिक्षक के व्यवहार के विभिन्न रूपों द्वारा शिक्षक के प्रति अनेक प्रकार की मनोवृत्तियों को विकसित करता। है। शिक्षक का स्वास्थ्य, वेशभूषा, शारीरिक सफाई, मुख भंगिमा, आचार तथा विचार के साथ-साथ व्यावसायिक निष्ठा, संभाषण, उच्चारण, व्याकरण की शुद्धता, लेख, वर्तनी तथा शिक्षण कौशल शिक्षक के व्यक्तित्व के निर्माण में महत्वपूर्ण हैं।