स्मृति (memory) एक प्रकार की मानसिक प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति धारण की गई विषय-सामग्री का पुनः स्मरण कर चेतना में लाकर पहचानने का प्रयास करता है। ज्ञानेन्द्रिय उत्तेजना को जब हमारा मस्तिष्क धारण करता है तो उसके चिह्न अंकित हो जाते हैं।
रॉस के अनुसार, “जो अनुभव चेतनायुक्त होते हैं, उन्हें स्मृति कहते हैं।”
मनोवैज्ञानिकों का विचार है कि स्मरण एक रचनात्मक प्रक्रिया है। इनके अनुसार अधिगम की गई विषय-सामग्री के स्मरण में मस्तिष्क में कई प्रकार के परिवर्तन होते हैं व इन परिवर्तनों को अनेक कारक प्रभावित करते हैं।
स्मृति की परिभाषाएँ
जेम्स ड्रेवर के अनुसार, “स्मृति (memory) जीवित प्राणियों की विशेषता है जो गुणों के कारणों से प्राप्त अनुभवों को पीछे छोड़ता है जो व्यवहार व अनुभवों में परिष्कार करते हैं। उन गुणों का कारण यह वह इतिहास होता है, जिसे वह अपने आप अंकित करते जाते हैं।”
वुडवर्थ के अनुसार, “पूर्व में सीखी गई बातों का ध्यान रखना ही स्मृति है।”
हिलगार्ड व एटकिन्सन (1967) के अनुसार, “पहले सीखी गई अनुक्रियाओं के चिन्हों को वर्तमान समय में व्यक्त या प्रदर्शित करने का अर्थ ही स्मृति है।”
रेवर्न के शब्दों में, “अपने पूर्व अनुभवों को संचित रखना और उनको ग्रहण करने में कुछ समय के पश्चात् पुन: चेतना में की क्षमता को स्मृति कहते हैं।”
मैक्डूगल के अनुसार, “स्मृति से तात्पर्य अतीत की घटनाओं के अनुभव की कल्पना और इस तथ्य को पहचान लेना कि वे अतीत कालीन अनुभव हैं।”
रॉस के अनुसार, “स्मृति एक नवीन अनुभव है जो उन अवस्थाओं द्वारा निर्धारित होता है जिनका आधार कोई पूर्ण अनुभव है।”
स्काउट के अनुसार, “स्मृति एक आदर्श पुनरावृत्ति है।”
उपर्युक्त परिभाषाओं के अवलोकन से यह स्पष्ट हो जाता है कि स्मृति (memory) एक ऐसी मानसिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा संचित अनुभवों को आवश्यकतानुसार पुन: चेतना में लाया जाता है। स्मृति के अन्तर्गत समस्त सीखी हुई और अनुभवगत बातें आती हैं। इस तरह स्मृति (memory) पूर्व अनुभवों और विचारों को पुन: जाग्रत करने तथा स्मरण करने की क्रिया है।