प्राकृतिक प्रदेशिक विविधता क्या है ?

भारत एक विशाल देश है। उत्तर में वह हिमालय की उत्तुंग शिखरों से घिरा हुआ है तो दक्षिण में तीन ओर समुद्र से घिरा हुआ है। देश की प्राकृतिक बनावट समान नहीं है। कहीं ऊँचे-ऊँचे पर्वत हैं तो कहीं समतल मैदान तथा पठार। हिमालय, विन्ध्याचल, सतपुड़ा, सह्याद्रि आदि पर्वतमालाएँ हैं। ये पर्वतमालाएँ विश्व की सबसे ऊँची पर्वतमालाएँ हैं। यहाँ के निवासियों का जीवन यहाँ के प्राकृतिक वातावरण से प्रभावित है; जैसे-कश्मीर के लोगों का रहन-सहन दिल्ली तथा उत्तर प्रदेश से अलग है। गंगा, यमुना, ब्रह्मपुत्र, घाघरा, गंडक, राबी, झेलम, चिनाब, व्यास, नर्मदा, गोदावरी, कावेरी आदि प्रसिद्ध नदियाँ हैं जो यहाँ के जनजीवन को प्रभावित करती हैं। समुद्री किनारे के निवासियों का रहन-सहन तथा भोजन अलग है। जंगली जातियाँ वनोपजों से अपना भरण-पोषण करती हैं। दंडकारण्य जैसे यहाँ विशाल जंगल हैं। भारत के कुछ प्रदेशों में बहुत उपजाऊ भूमि है; जैसे-पंजाब तथा गंगा-यमुना का मदौन। यह भूमि संसार की सबसे अधिक उपजाऊ भूमि हैं इसलिए यहाँ के निवासी सम्पन्न हैं। इसके विपरीत राजस्थान में थार का रेगिस्तान है जो उजाड़ है। दक्कन का पठार पथरीला प्रदेश है। बंगाल तथा केरल की भूमि शस्यश्यामला है। इस तरह भारत की प्राकृतिक बनावट में एक विभिन्नता है। शासन की सुविधा से भारत को 26 राज्यों तथा 4 केन्द्र शासित प्रदेशों में विभाजित किया गया है लेकिन यह विभाजन कृत्रिम है। इस देश के किसी भाग में बहुत वर्षा होती है तो कहीं बहुत कम वर्षा होती है और कोई अंचल बिल्कुल सूखा रहता है। कोई प्रदेश हरा-भरा है तो कुछ उजाड़ और पथरीले। इस प्रकार भारत में विविधता के अनेक रूप देखने को मिलते हैं और यही इस देश की प्रमुख विशेषता है।

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