आज मनोविज्ञान व्यावहारिक विज्ञान है, इसलिए जीवन के जिन-जिन क्षेत्रों में मनोविज्ञान के सिद्धान्त तथा व्यवहारों का अध्ययन किया जाता है, वे सब उसी की शाखायें बन जाती हैं। बालकों का अध्ययन जब मनोविज्ञान के आधार पर किया जाता है तो वह बाल मनोविज्ञान कहलाता है।
विभिन्न विद्वानों द्वारा इस व्यावहारिक विज्ञान की अनेक प्रकार से व्याख्या की गई है। प्रसिद्ध मनोविज्ञानी डम्बिल ने मनोविज्ञान को प्राणियों के व्यवहार का विज्ञान कहा है। वुडवर्थ अपने वातावरण से सम्बन्धित व्यक्ति की क्रियाओं से विज्ञान को मनोविज्ञान की संज्ञा देता है। एक अन्य मनोविज्ञानी जेम्स ड्रेवर ने मनोविज्ञान की परिभाषा प्राणियों के मानसिक तथा शारीरिक व्यवहार की व्याख्या करने वाली विज्ञान के रूप में की है और इसका सम्बन्ध भौतिक अनुबन्ध से बताया है। मनोविज्ञान की ये परिभाषायें जीवित प्राणी के व्यवहार का अध्ययन, व्याख्या, उन पर पड़ने वाले प्रभाव आदि सभी का अध्ययन करती हैं। क्योंकि मनोविज्ञान मानव व्यवहार का अध्ययन करता है अर्थात् वह उन सभी तथ्यों, घटकों का भी अध्ययन करता है जो मानव व्यवहार को प्रभावित करते हैं।
इस प्रकार मनोविज्ञान का अर्थ तथा परिभाषायें विविधतापूर्ण हैं। बाल मनोविज्ञान के विषय में विभिन्न विद्वानों के मत निम्नलिखित हैं।
थॉम्पसन के अनुसार, “बाल मनोविज्ञान सभी को एक नवीन दिशा का संकेत करता है। यदि उसे उचित रूप से समझा जा सके तथा उसका उचित समय पर उचित ढंग से विकास हो सके तो हर बच्चा एक सफल व्यक्ति बन सकता है।”
क्रो एवं क्रो के अनुसार, ”बाल मनोविज्ञान एक वैज्ञानिक अध्ययन है जिसमें बालक के जन्म, पूर्व काल से लेकर किशोरावस्था तक का अध्ययन किया जाता है।”
वस्तुत: बाल मनोविज्ञान, मनोविज्ञान की एक शाखा के रूप में विकसित हुआ है। अतः इसके क्षेत्र एवं प्रवृत्ति मनोविज्ञान के सर्वाधिक पास है।