मनोविज्ञान का अर्थ और परिभाषा

मनोविज्ञान का अर्थ और परिभाषा

प्राचीनकाल में मनोविज्ञान दर्शनशास्त्र की एक शाखा माना जाता था। परन्तु अब यहएक स्वतन्त्र विषय के रूप में हमारे सामने आता है। प्रारम्भ में इस विज्ञान का सम्बन्ध ‘आत्मा’ अथवा ‘अन्तःकरण’ से समझा जाता था। सोलहवीं शताब्दी तक मनोविज्ञान ‘आत्मा का विज्ञान’
रहा। अतः विद्वानों ने मनोविज्ञान को आत्मा का विज्ञान न मानकर “मस्तिष्क का विज्ञान” माना। परन्तु यह परिभाषा भी विवादास्पद रही क्योंकि मनोवैज्ञानिक मानसिक शक्तियों, मस्तिष्क के स्वरूप व उसकी प्रकृति को सही-सही निर्धारित न कर सके।

विलियम वुंट (William Wundt 1832-1920) एवं विलियम जेम्स (William James 1842-1910) ने मनोविज्ञान को ‘चेतना का विज्ञान’ कहा। परन्तु चेतना के सम्बन्ध में भी अनेक गम्भीर मतभेद हो सकते हैं।

व्यवहारवादियों के अनुसार “मनोविज्ञान व्यवहार का विज्ञान है।” आज भी मनोविज्ञान मानव व्यवहार का अध्ययन करता है। मानव के व्यवहार अनेक कारणों से प्रभावित होते हैं। साथ ही उन व्यवहारों की अभिव्यक्ति भी अलग-अलग ढंग से होती हैं। पिल्सबरी के अनुसार,
“मनोविज्ञान की परिभाषा मानव व्यवहार के विज्ञान के रूप में की जा सकती है।”

मनोविज्ञान की परिभाषा

मनोविज्ञान की परिभाषा

विभिन्न मनोवैज्ञानिकों ने मनोविज्ञान को निम्न रूप में परिभाषित किया है।

(1) वाट्सन के अनुसार, “मनोविज्ञान व्यवहार का शुद्ध विज्ञान है।”

वाट्सन की इस परिभाषा में आज के मनोविज्ञान के स्वरूप को देखते हुए अपूर्णता है क्योंकि मनोविज्ञान के क्षेत्र के अन्तर्गत मानव तथा पशुओं के व्यवहार का अध्ययन किया जाता है। उक्त परिभाषा में यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि मनोविज्ञान में मानव तथा पशु दोनों के व्यवहार का अध्ययन किया जाता है। व्यवहार का अर्थ किसी विशेष वातावरण से भी सम्बन्धित है जिसको व्यक्त करने में वाट्सन असमर्थ रहे हैं।

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(2) वुडवर्थ के अनुसार, “मनोविज्ञान सम्बन्धित वातावरण में व्यक्ति की क्रियाओं का विज्ञान है।

(3) हिलगार्ड के अनुसार, “मनोविज्ञान को उस विज्ञान के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जो मानव तथा अन्य पशुओं का अध्ययन करता है।”

हिलगार्ड की परिभाषा में आपत्तिजनक बात हो सकती है कि उन्होंने मनोविज्ञान को केवल विज्ञान कहकर छोड़ दिया है। इस बात की भी व्याख्या होना अत्यन्त आवश्यक है कि मनोविज्ञान विधायक विज्ञान है अथवा नियामक।

(4) बोरिंग के अनुसार, “मनोविज्ञान मानव की प्रकृति का अध्ययन है।” जहाँ तक मानव की क्रियाओं तथा उसके स्वरूप के अध्ययन का प्रश्न है, इस परिभाषा से कार्य चल जाता है। परन्तु आज का मनोविज्ञान इतना संकुचित नहीं है। वर्तमान में मनोविज्ञान का मुख्य उद्देश्य सम्पूर्ण प्राणी वर्ग के व्यवहार का अध्ययन करना है। इसके अतिरिक्त बोरिंग की परिभाषा में विज्ञान शब्द की स्पष्ट व्याख्या नहीं मिलती है कि मनोविज्ञान कौन-सा विज्ञान है— विधायक अथवा नियामक ?

(5) स्किनर के अनुसार, “मनोविज्ञान जीवन द्वारा प्रस्तुत विभिन्न परिस्थितियों में व्यवहार का अध्ययन है। अनुक्रियाओं अथवा व्यवहार से अर्थ प्राणी की सभी प्रकार की क्रियाएँ, समायोजन तथा अभिव्यक्ति हैं। “

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