स्वामी दयानंद सरस्वती पर कविता

स्वामी दयानंद सरस्वती पर कविता

स्वामी दयानंद सरस्वती पर कविता

“मूल शंकर”…..वह बालक।

जीवन के ,

मूल मंत्र जब जान गया।

महर्षि बनकर,

संपूर्ण,

मानव जाति को तार गया।।

 

जीवन के ,

मूल मंत्र जब जान गया।

वेदों की सत्ता का।

जब जन-जन में प्रचार किया।

 

हम महान भारत की संताने हैं।

मन -मन ने यह विचार गया।

ज्ञान की खोज में।

पाणिनी व्याकरण ,

पातंजल का योग सूत्र दिया।

वेद -वेदांग का देकर अध्ययन।

मत -मतांतरो की ,

अविद्या को दूर किया।

पाखंड -खंडनी,

पताका फहरा कर।

अंधविश्वासों को दूर किया।

धन्य हुई भारत की नारी।

जिसके जीवन में ,

शिक्षा का आविर्भाव हुआ।

सती प्रथा ,बाल विवाह को ,

रोक हर नारी का उद्धार किया।

 

बुझी चिंगारी सन-सत्तावन की।
फिर से उसे जीवन प्राण दिया।
स्वराज के इच्छुक,
हर मन को ,
महर्षि ने फिर से तैयार किया।
आर्य भाषा को देकर जीवन।
संस्कृत का नाम किया।
जन विचार को सरल कर।
” कृण्वंतो विश्वमार्यम्”
का मंत्र…….दिया ।
सारे संसार को श्रेष्ठ करने का।
मन- मन में विचार भरा ।।
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