स्पष्ट है कि मनोविज्ञान की विभिन्न शाखाएँ विशेष परिस्थितियों में पाए गए मानव व्यवहार के अध्ययन से सम्बन्धित हैं। अतः मनोविज्ञान की शाखाओं को दो प्रमुख भागों में विभाजित कर सकते हैं
शिक्षा मनोविज्ञान, सामाजिक विज्ञानों की श्रृंखला में मनोविज्ञान के ज्ञान के क्षेत्र की व्यावहारिक शाखा है। इसका सम्बन्ध कक्षा-कक्ष अन्तःक्रिया के साथ-साथ सामाजिक दायभाग (Social Heritage) के हस्तान्तरण से भी है। ज्ञान के अथाह भण्डार को निरन्तर आगामी पीढ़ी में हस्तान्तरित करने में शिक्षक अहम् महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करता है।
आज मनोविज्ञान व्यावहारिक विज्ञान है, इसलिए जीवन के जिन-जिन क्षेत्रों में मनोविज्ञान के सिद्धान्त तथा व्यवहारों का अध्ययन किया जाता है, वे सब उसी की शाखायें बन जाती हैं। बालकों का अध्ययन जब मनोविज्ञान के आधार पर किया जाता है तो वह बाल मनोविज्ञान कहलाता है।
प्राचीनकाल में मनोविज्ञान दर्शनशास्त्र की एक शाखा माना जाता था। परन्तु अब यहएक स्वतन्त्र विषय के रूप में हमारे सामने आता है। प्रारम्भ में इस विज्ञान का सम्बन्ध 'आत्मा' अथवा 'अन्तःकरण' से समझा जाता था।